सबसे ख़तरनाक 17 वायरस या जीवाणु –
- टुलामेरिया – यह दुनिया के सबसे ख़तरनाक जीवाणु में से एक है | इस जीवाणु से प्रभावित होने वले व्यक्ति के जिन्दा बचने की महज 5 प्रतिशत संभावना होती है | इस जीवाणु की मात्र एक बोतल से पूरी दुनिया नष्ट की जा सकती है | इस जीवाणु का सबसे पहला इस्तेमाल सोवियत रूस पर किया गया | जिससे करीब 10 हजार लोग प्रभावित हुए |
- निपाह वायरस – इस वायरस की पहचान सन 1999 में की गयी | जब मलेशिया के निपाह क्षेत्र में इससे 265 लोग प्रभावित हुए | जिनमे से 105 लोगो की मौके पर ही मौत हो गयी | इसमें से 90 प्रतिशत वायरस सूअरों में पाया गया |
- रिडरपेस्ट – यह बीमारी मीजल वायरस के ही करीबी एक वायरस से फैलती है | इस बीमारी की वजह से पशुओं और जानवरों में प्लेग जैसी स्थिति पैदा हो जाती है और वे तेजी से मरने लगते हैं |
- बोटूलीनम टोक्सिन – इस विषाणु का इस्तेमाल किसी बंद खोल ( पैकेट ) के जरिये दुश्मन देश के ऊपर गिरा कर किया जाता है | बाहरी वातावरण में घुलने के बाद यह साँस के जरिये लोगो के शरीर में प्रवेश कर जाता है | और फिर लोगो को ये अपनी चपेट में ले लेता है | इससे 24 घंटे में इंसान की मौत हो जाती है |
- एंथ्रेक्स – सन 2001 के अंत में अमेरिकी सीनेट कार्यालय और कुछ मिडिया संस्थाओं में सफ़ेद पाउडर लगे हुए कुछ पत्र भेजे गए | इन पत्रों में ख़तरनाक बैक्टीरिया “ बैकिलस एन्थ्रोसिस ” का इस्तेमाल किया गया | जिससे करीब 22 लोग प्रभावित हुए और उनमे से 5 लोगो की मौत हो गयी |
- स्मालपॅाक्स – ब्रिटिश सेना ने अमेरिकियों को स्मालपॉक्स से ग्रसित कम्बल बाँटे थे | जिसके प्रभाव में आने के कारण हजारों लोग बीमार पड़ गए और कई लोगों की मौत हो गयी |
- प्लेग – यह एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में तेजी से फैलता है | इसलिए इसके लिए जिम्मेदार प्लेग विषाणु का उपयोग जैविक हथियार के रूप में हो सकता है |
- चिमेरी वायरस – ये वायरस कई बिमारियों के लक्षण अपने में समाये रखता है |
- राईस ब्लास्ट – इस वायरस का उपयोग सामान्यतया खेती की फसलों को नष्ट करने के लिए किया जाता है | जिससे प्रभावित देश में अनाज, चावल आदि की कमी हो जाती है और देश को भारी नुकसान होता है |
- मारबुर्ग वायरस – यह वायरस रक्त स्रावी बुखार का वायरस है | रक्त की उल्टी – दस्त होतें है | मांसपेसियों के दर्द की शिकायत रहती है | श्लेष्मा झिल्ली नाक, मुहँ, त्वचा, अंगों से रक्त स्राव लगातार होता है | 90 प्रतिशत मामलों में मरीज की मौत हो जाती हैं |
- हंटा वायरस – इस वायरस में फेफड़े में संक्रमण से फेफड़े ख़राब हो जाते हैं तथा तेज बुखार होने लगता है |
- H5N1 वायरस – हाल ही के वर्षों में फैला H5N1 वायरस बहुत ख़तरनाक सिद्ध हुआ | जो मुर्गियों में होने वाला आम रोग था | लेकिन ये वायरस स्वंम ही जातीय विशिष्टता को तोड़ कर हाल में मनुष्य में भी संक्रमण उत्पन्न करने लगा | जिससे हर वर्ष हजारों व्यक्तियों की मौत होती है |
- लस्सा वायरस – यह वायरस सामान्यता चूहों व गिलहरियों से फैलता है |
- जुनिन वायरस – इस वायरस में सुजन आना, त्वचा से खून आने का कारण होता है | जो अत्यधिक तकलीफ देय होता है |
- क्रीमियन वायरस – क्रीमी कांगो बुखार सामान्यता अफ़्रीकी मूल के देशों में फैलता है | ये खटमल जैसे जीवों से फैलता है | जिससे मुँह व ग्रसनी से रक्त स्राव होता है |
- मचुपो वायरस – इस वायरस के संक्रमण से मरीज को तेज बुखार और भारी मात्रा में रक्त स्राव होंने लगता हैं |
- इबोला – यह वायरस मूलत अफ्रीकी देशो में पहली बार सन 1900 के दशक में अफ्रीका में फैला | इसके बाद हाल ही के वर्षों में WHO की रिपोर्ट में सबसे ख़तरनाक वायरसों की श्रेणी में रखा गया | यह वायरस मुख्यत : वैम्पायर चमगादड़ों की एक प्रजाति से फैलता है | इसका वायरस किसी धागे के समान गोल होता है | इसके संक्रमण से व्यक्ति की 90 प्रतिशत मामलों में मौत हो जाती है |