Kya aap bhi gore hone ke liye Cream lagate hai todkar ye jaroor read kare

गोरा करने के क्रीमइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
क्रीम लगाना ग़लत नहीं है, लेकिन ये देखना ज़रूरी है कि क्रीम किस वजह से लगाई जा रही है. शरीर के किस हिस्से पर लगाई जा रही है और क्रीम में क्या-क्या मिला हुआ है.
विशेषज्ञों के मुताबिक़ अगर आप इन सारी बातों का ध्यान नहीं रखते हैं तो आपको क्रीम से गंभीर साइड-इफेक्ट हो सकते हैं.
दरअसल, क्रीमों को बाज़ार में उतारने से पहले इन्हें कुछ ज़रूरी जांचों से गुज़रना होता है, लेकिन ज़्यादातर क्रीम इन जांच को पास नहीं कर पाती.
ऐसी क्रीम में पारे जैसा ख़तरनाक पदार्थ हो सकता है. अगर इनमें ज़रूरत से ज़्यादा पारा डाल दिया जाए तो इससे आपकी सेहत ख़तरे में पड़ सकती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ चार में से तीन महिलाएं डॉक्टर की सलाह के बगैर ब्लीच इस्तेमाल करती हैं.
ब्रिटेन की नेशलन हेल्थ सर्विस के मुताबिक "महिलाएं चेहर के निशान छिपाने और सुंदरता बढ़ाने के लिए गोरा करने वाली क्रीम इस्तेमाल करती हैं".
गोरा करने के क्रीम
Image captionजो लोग अपने शरीर के गहरे रंग के निशानों को हटाना चाहते हैं, उन लोगों को इस तरह के इलाज की सलाह दी जाती है. हालांकि इलाज के बाद भी कुछ हल्के निशान रह जाते हैं.
इसे झाइयों के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. झाई एक तरह की त्वचा की समस्या है, इसमें शरीर के कुछ हिस्सों पर हल्के भूरे रंग के धब्बे हो जाते हैं. झाइयां आम तौर पर गर्भवती महिलाओं को होती हैं.

फेयरनेस क्रीम किस तरह काम करती है?

गोरा करने वाली क्रीम हमारे शरीर में मौजूद मेलेनिन पर असर करती है. हमारी त्वचा का रंग मेलेनिन से तय होता है और ये फेयरनेस क्रीम उस मेलेनिन को कम कर देती है.

मेलेनिन कम करने के ये तरीके

  • फेयरनेस क्रीम
  • केमिकल एक्स्फोलिएटिंग- इससे त्वचा की ऊपरी परत उतर जाती है
  • लेजर ट्रीटमेंट- ये ख़ासा महंगा इलाज है
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क्रीम में दो तरह के ब्लीचिंग एजेंट होते हैं- हाइड्रोक्विनोन या कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स.
त्वचा विशेषज्ञों के मुताबिक़ क्रीम में हाइड्रोक्विनोन का स्तर 4% से कम होना चाहिए.
एक त्वचा विशेषज्ञ के मुताबिक, "वहीं खुजली की समस्या से परेशान लोगों को कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स या टॉपिकल स्टेरॉइड्स दिए जाते हैं, लेकिन बहुत से लोग बिना चमड़ी की समस्या के ही इसे इस्तेमाल कर रहे हैं. यहां तक लोग सालों तक इन्हें लगाते रहते हैं."
गोरा करने के क्रीम
Image captionचमड़ी की कुछ समस्याओं के लिए टॉपिकल स्टेरॉइड्स दिया जाता है. लेकिन ये सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर ही लिया जा सकता है.

क्रीम को कहां और कितनी लगाएं?

डॉक्टरों के मुताबिक जिन क्रीमों में हाइड्रोक्विनोन होता है, उन्हें दिन में दो बार से ज़्यादा नहीं लगाना चाहिए. इसे सिर्फ हाथ और पैर पर लगाया जाना चाहिए, चेहरे पर नहीं. इसके अलावा आठ या 12 हफ्तों से ज़्यादा समय तक इस क्रीम को नहीं लगाना चाहिए.
लेकिन कुछ लोग इन क्रीमों को डॉक्टर की सलाह के बगैर ही लंबे समय तक लगाते रहते हैं. वे लोग इन क्रीमों को चेहरे और आंखों के आस-पास भी लगा लेते हैं, जिससे उन्हें इन हिस्सों में जलन हो सकती है.
वहीं कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स वाली क्रीमों को नाज़ुक हिस्सो पर लगाया जा सकता है, क्योंकि ये क्रीम खुजली जैसी त्वचा से जुड़ी समस्या के इलाज के लिए इस्तेमाल होती है. लेकिन फिर भी ये देखना ज़रूरी है कि क्रीम में कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स के साथ और क्या-क्या मिलाया गया है और क्रीम किस तरह की है.'
गोरा करने के क्रीम
Image captionये एक मिथक है कि गर्भावस्था के दौरान फेयरनेस क्रीम लगाने से बच्चा गोरा पैदा होगा
ये ज़रूरी है कि आप डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही ऐसे उत्पादों का इस्तेमाल करें और उनके बताए निर्देशों का पालन करें. अगर आप ऐसा नहीं करते तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.

साइड-इफेक्ट

नेशनल हेल्थ सर्विस के मुताबिक इन ब्लीचिंग एजेंट्स के ग़लत इस्तेमाल से कई तरह के साइड-इफेक्ट हो सकते हैं.
डॉक्टरों के मुताबिक इससे जलन, सूजन, त्वचा पर दरारे पड़ने जैसे साइड-इफेक्ट हो सकते हैं.
कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसमें क्रीमों का बुरा असर लंबे वक़्त तक रहा है. ऐसे लोगों की त्वचा पतली हो गई, शरीर की नसें साफ दिखने लगीं, लिवर पर निशान दिखने लगे और किडनी पर भी बुरा असर पड़ा.
इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान ग़लत तरह से क्रीम इस्तेमाल करने पर बच्चे को भी नुक़सान हो सकता है.
गोरा करने के क्रीम
डॉक्टर से सलाह लिए बगैर क्रीम इस्तेमाल करने पर गंभीर और लंबे समय तक रहने वाला असर हो सकता है.
और हो सकता है आप गोरा होने के लिए क्रीम लगा रहे हों और उल्टा और काले हो जाएं. डॉक्टरों के मुताबिक ये भी फेयरनेस क्रीम का एक साइड-इफेक्ट हो सकता है.

    आपको इसे पढ़ कर बहुत मजा आएगा 

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