Reproduction (प्रजनन) के माध्यम से मलेरिया मच्छर को करेगा ख़त्म। इंसानी मच्छर जाने पूरा रिसर्च।.....



हर साल मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियां जैसे डेंगू, मलेरिया... आदि के कारण कई लोग असमय काल के गाल में समा रहे हैं। आंकड़ों की माने तो हर साल लगभग 10 लाख लोग मच्छरों से होने वाली बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। मलेरिया के बाद मच्छरों से होने वाली बीमारी, डेंगु हर साल कई लोगों को मृत्यु की गोद में सुलाने का काम करती है। मच्छरों के काटने से इंसानों को इतना ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है कि पिछले कई सालों से वैज्ञानिक जगत इन खून चूसने वाले कीटों से बचने के उपाय खोजने में जुटा हुआ है।
मलेरिया


वैज्ञानिक ने बनाया ‘म्यूटेंट’ मच्छर

हाल ही में वैज्ञानिकों ने इन बीमारी फैलाने वाले कीटों का एक संशोधित मॉडीफाइड मच्छर बनाया है। वैज्ञानिक इन तैयार मॉडीफाइट मच्छरों में से कुछ को परीक्षण के लिए फ्लोरिडा कीज़ इलाके में छोड़ना चाहते हैं। इन मच्छरों को वैज्ञानिकों ने ‘म्यूटेंट’ मच्छर नाम दिया है। वैज्ञानिकों का प्लान है कि वे म्यूटेंट मच्छरों के जरिये आम मच्छरों को खत्म कर देंगे जिससे मलेरिया हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।

दूसरा सवाल भी जरूरी

अगर वैज्ञानिकों की ये खोज कामयाब होती है तो विज्ञान जगत के लिए ये बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। लेकिन इसके बाद दूसरा सवाल खड़ा हो जाता है। दूसरा सवाल यह है कि अगर आम मच्छरों की जगह म्यूटेंट मच्छरों ने ले ली तो ईको-सिस्टम पर क्या असर होगा? नए मच्छर कौन सी नई बीमारियां फैलाएंगे? कौन बताएगा कि किस से फायदा होगा किससे नुकसान?

जीन में बदलाव कर बनाया गया ये मच्छर

आम मच्छरों में जीन में बदलाव कर ये म्यूटेंट मच्छर तैयार किया गया है। इस तकनीक को CRISPR-Cas9 तकनीक नाम दिया गया है विवादों में तो है लेकिन उतना क्रांतिकारी भी है। यह एक मॉलीक्यूल्स को कट-पेस्ट करने का तरीका है जो वैज्ञानिकों को मनचाहे डीएनए सेग्मेंट निकालने और जोड़ने की सहूलियत देता है। कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने इन मच्छरों की जीन में कुछ ऐसे बदलाव किए हैं कि ये मच्छर खुद अपने अंदर की बीमारी को फैलाने की जगह खत्म कर देंगे। वैज्ञानिकों को यकीन है कि ये मच्छर सिर्फ एक गर्मियों भर में मलेरिया को हमेशा के लिए खत्म कर देंगे।

लेकिन प्रयोग उल्टा हुआ तो?

इस प्रयोग को लेकर कई लोग सशंकित हैं। ये प्रयोग नर मच्छरों के जीन में कुछ ऐसे बदलाव कर किए जा रहे हैं जिससे कि उनकी अगली पीढ़ी लारवा से आगे की स्थिति में जिंदा ही न रहे। ऐसे में लोगों को सवाल है कि अगर प्रयोग के दौरान कुछ मादाओं में भी ऐसे बगलाव आ गए तो? क्या होगा जब मॉडीफाइड मादा किसी को काटेगी? इसका जवाब अबतक किसी के पास नहीं।

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