आखिर खुल ही गया बरमूडा ट्रायंगल का रहस्य, जानिये गायब हुए जहाजों का सच By AryaTechLoud


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पूरी दुनिया के लिए बरमूडा ट्रायंगल एक ऐसा रहस्य और पहेली बना हुआ है जिसका तोड़ आज तक बड़े से बड़े वैज्ञानिक भी नहीं निकल पाए। लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी की भारत के प्राचीन वेदों में से एक ऋग्वेद में इस रहस्य का उत्तर दिया गया है।





आज इतनी मॉडर्न टेक्नोलॉजी होने के बाद भी कोई सुलझा नहीं पाया उस रहस्य का सच प्राचीन कला में कैसे जाना गया ये अपने आप में अनोखा है।


बरमूडा ट्रायंगल अटलांटिक महासागर के पश्चिमी हिस्से में स्थित है , और इसके पास ये गुजरने वाले अनेक समुद्री जहाज़ गायब हो चुके है और इसके साथ साथ कई हवाई जहाज़ जो इसके ऊपर से भी उड़े वो भी रहस्मयी तरीके से गायब हो गए है।



लम्बे समय से ये बेहद डरावना रहस्य रहा है की आखिर इतने सारे जहाज़ कहा गम हो गए। इनके डूबने या पानी में गिरने की भी पुष्टि नहीं हो पायी क्योंकि न ही इन जहाजों का कभी मलबा मिला न ही इनमे सफर करने वाले लोगों में से कोई जीवित या मुर्दा मिला।

लगभग 23000 सालों पहले लिखे गए ऋग्वेद के अस्य वामस्य में बताया गया है कि मंगल का
जन्म धरती पर ही हुआ है। ऋग्वेद में लिखा गया है कि जब धरती ने मंगल को जन्म दिया, तब मंगल को उसकी मां से दूर कर दिया गया था. तब भूमि ने घायल होने के कारण अपना पूरा संतुलन खो दिया (और पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमने लगी)।





उस समय धरती को संभालने के लिए दैवीय वैद्य अश्विनी कुमार
नामक एक त्रिकोणीय आकार का लोहा उसके चोटहिल स्थान में लगा दिया जिसके बाद भूमि अपनी उसी अवस्था में रुक गई। यही कारण है कि पृथ्वी की धुरी एक विशेष कोण पर झुकी हुई है जिसका मान है 23.5 डिग्री, धरती का यही स्थान है बरमूडा ट्रायंगल है।


सालों तक धरती में जमा होने के कारण यह
त्रिकोणीय लोहा प्राकृतिक चुम्बक बन चूका है और इस तरह की घटनाएं होने लगीं है। इस बरमूडा ट्रायंगल के बारें में माना जाता है की की ये अपने आस पास से गुजरने वाली हर चीज़ को आपने पास खींच लेता है और उसके बाद क्या होता है कोई नहीं जानता।


कई बार इसके रहस्य को सुलझाने के दावे हुए पर किसी के पास भी पुख्ता सबूत नहीं थे। लगातार जहाजों के
गायब होने के चलते तकरीबन 500 साल बाद इसे ‘डेंजर रीजन’ का नाम दिया गया था और अब जहाजों को इस क्षेत्र के नजदीक से निकलने की रोक लगा दी गयी है।

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