The e-commerce company has a cash of Rs 9,200 crore in a day

इस ई-कॉमर्स कंपनी को एक दिन में लगी 9200 करोड़ रुपये की चपत



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शुक्रवार को भारतीय शेयर बाज़ार में एक और बवंडर आया. देश की पहली लिस्टेड ई-कॉमर्स कंपनी इंफ़ीबीम का शेयर ऐसा लुढ़का कि साढ़े तीन बज़े जब शेयर बाज़ार बंद हुआ तो एक ही कारोबारी सत्र में कंपनी के निवेशकों के तकरीबन 9200 करोड़ रुपये लुट चुके थे.



7 जनवरी 2009 को सत्यम कंप्यूटर्स के बाद एक कारोबारी सत्र में किसी भी शेयर में ये दूसरी सबसे तेज़ गिरावट थी. इंफ़ीबीम का शेयर 73 फ़ीसदी तक टूटा और कारोबार खत्म होने पर 70.24 फ़ीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ.
इससे पहले, खातों में गड़बड़ी के घोटाले के पता चलने पर हैदराबाद की आईटी कंपनी सत्यम का शेयर एक दिन में 83 फ़ीसदी लुढ़का था.
शनिवार को इंफ़ीबीम की सालाना आम बैठक यानी एजीएम थी और इससे ठीक एक दिन पहले निवेशकों में एक अफ़वाह से ऐसी अफ़रातफ़री मची कि गुरुवार को 197 रुपये पर खड़ा कंपनी का शेयर 59 रुपये पर आ गया.
गुरुवार को जहाँ कंपनी की मार्केट कैपिटलाइज़ेशन यानी बाज़ार पूँजी 13,105 करोड़ रुपये थे, वो 24 घंटे बाद ही 3,900 करोड़ रुपये के आस-पास आ गई.
कहा तो ये भी जा रहा है कि एक व्हाट्सऐप मैसेज ने निवेशकों में हड़कंप मचा दिया. ब्रोकरेज फर्म इंडिया इंफोलाइन में काम कर रहे एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि गुरुवार की शाम से ही व्हाट्सऐप मैसेज सर्कुलेट हो रहा था, जिसमें कहा गया था कि कंपनी के गवर्नेंस से जुड़ी कुछ गंभीर गड़बड़ियां सामने आई हैं.
हालाँकि बाद में कंपनी ने एक बयान जारी कर स्पष्टीकरण दिया कि उसने अपनी सब्सिडियरी कंपनी एनएसआई इंफ़ीबीम ग्लोबल को ब्याजमुक्त कर्ज़ दिया है, लेकिन ये छोटी अवधि का कर्ज़ है और ये सिर्फ़ कंपनी अपने कारोबार और कामकाज पर खर्च कर रही है. कंपनी ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को ये भी जानकारी दी कि 31 मार्च 2018 तक एनएसआई इंफ़ीबीम पर उसका कर्ज़ 135 करोड़ रुपये था.

पहले भी कई बार गिरावट


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इंफ़ीबीम के शेयर में ऐसी उठापटक पहली बार हुई हो, ऐसा नहीं है. दिल्ली स्थित एक रिसर्च फ़र्म में रिसर्च एनालिस्ट आसिफ़ इकबाल कहते हैं, "साल 2016 में कंपनी का आईपीओ लाने के बाद कंपनी शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध होने वाली पहली ई-कॉमर्स कंपनी बनी थी. तब कंपनी ने आईपीओ के ज़रिये 450 करोड़ रुपये जुटाए थे. आईपीओ को लेकर निवेशकों में बहुत अधिक उत्साह भी देखने को नहीं मिला था और ये 110 फ़ीसदी ही सब्सक्राइब हो पाया था."
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक 9 नवंबर 2016 को कंपनी के शेयर में कारोबारी सत्र के दौरान 17.48 फ़ीसदी की गिरावट आई थी, हालाँकि कारोबार खत्म होने तक शेयर में रिकवरी आई और ये आखिर में ये गिरावट महज ढाई फ़ीसदी की रही. 27 मार्च 2017 को शेयर में इंट्राडे गिरावट तकरीबन 20 फ़ीसदी की थी, इसीके चार दिन बाद 31 मार्च 2017 को शेयर फिर से कारोबारी सत्र में 20 फ़ीसदी टूटा. 25 सितंबर को जब शेयर का भाव 119 रुपये पर था, तब भी कंपनी का शेयर अचानक 39.5 फ़ीसदी गिर गया. इसी साल 29 दिसंबर को इसमें फिर से 40 फ़ीसदी की गिरावट आई. 21 सितंबर 2018 को शेयर ने फिर 41 फ़ीसदी का गोता लगा दिया.
आम तौर पर शेयरों में तेज़ गिरावट रोकने के लिए सर्किट लिमिट तय होती हैं, मसलन 5 फ़ीसदी, 10 फ़ीसदी और सबसे अधिक 20 फ़ीसदी. लेकिन इंफ़ीबीम के शेयर में क्योंकि वायदा कारोबार की भी इजाज़त है, इसलिए इस पर सर्किट लिमिट लागू नहीं होती है.




    आसिफ़ इक़बाल कहते हैं, "स्टॉक एक्सचेंजों को ध्यान देना चाहिए कि वे अच्छी क्वालिटी के स्टॉक्स में ही डेरिवेटिव यानी वायदा कारोबार की श्रेणी में रखे. वरना इसका ख़ामियाजा ग़लत खबर या अफ़वाह उड़ने की स्थिति में सीधे-सीधे आम निवेशकों को पहुँचता है."



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