आखिर क्या है खास ‘आदियोगी’ की प्रतिमा में जो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में हुई शामिल

आखिर क्या है खास ‘आदियोगी’ की प्रतिमा में जो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में हुई शामिल



भारत में आध्यात्मिक प्रकृति की बात करें तो हर किसी का एक ही लक्ष्य रहा है. मुक्ति आज भी हर व्यक्ति मुक्ति शब्द का अर्थ जानता है. कभी सोचा है ऐसा क्यों है? दरअसल, इस देश में आध्यात्मिक विकास और मानवीय चेतना को आकार देने का काम सबसे ज़्यादा एक ही शख्सियत के कारण है. जानते हैं कौन है वह? वह हैं शिव..!
भगवान शिव के अनन्य भक्ति से प्रेरित होकर पहली बार किसी ने दुनिया में भगवान शंकर की 112 फीट की प्रतिमा स्थापित की जिसमें सिर्फ उनका चेहरा है. जी हां…! भारत के तमिलनाडु राज्य के कोयम्बटूर शहर में आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव की अगुवाई वाली ईशा फाउंडेशन द्वारा विश्व की सबसे बड़ी शिव प्रतिमा स्थापित की गई है. जिसका लोकार्पण बीते शिवरत्रि के पर्व पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. प्रतिमा की भव्यता और लोकप्रियत के कारण अर्धनिर्माण के दौरान ही इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में स्थान मिल चूका है.
‘आदियोगी’ ही नाम क्यों ?
आपके मन में प्रश्न आ रहा होगा कि आखिर प्रतिमा को आदियोगी नाम क्यों दिया गया ? दरअसल प्रतिमा योग के प्रति लोगों में प्रेरणा जगाने के लिये हैं, इसीलिये इसका नाम ‘आदियोगी’ (प्रथम योगी) है. शिव को योग का प्रवर्तक माना जाता है.

आखिर क्या है खास ‘आदियोगी’ की प्रतिमा में जो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में हुई शामिल

भारत में आध्यात्मिक प्रकृति की बात करें तो हर किसी का एक ही लक्ष्य रहा है. मुक्ति आज भी हर व्यक्ति मुक्ति शब्द का अर्थ जानता है. कभी सोचा है ऐसा क्यों है? दरअसल, इस देश में आध्यात्मिक विकास और मानवीय चेतना को आकार देने का काम सबसे ज़्यादा एक ही शख्सियत के कारण है. जानते हैं कौन है वह? वह हैं शिव..!
भगवान शिव के अनन्य भक्ति से प्रेरित होकर पहली बार किसी ने दुनिया में भगवान शंकर की 112 फीट की प्रतिमा स्थापित की जिसमें सिर्फ उनका चेहरा है. जी हां…! भारत के तमिलनाडु राज्य के कोयम्बटूर शहर में आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव की अगुवाई वाली ईशा फाउंडेशन द्वारा विश्व की सबसे बड़ी शिव प्रतिमा स्थापित की गई है. जिसका लोकार्पण बीते शिवरत्रि के पर्व पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. प्रतिमा की भव्यता और लोकप्रियत के कारण अर्धनिर्माण के दौरान ही इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में स्थान मिल चूका है.
‘आदियोगी’ ही नाम क्यों ?
आपके मन में प्रश्न आ रहा होगा कि आखिर प्रतिमा को आदियोगी नाम क्यों दिया गया ? दरअसल प्रतिमा योग के प्रति लोगों में प्रेरणा जगाने के लिये हैं, इसीलिये इसका नाम ‘आदियोगी’ (प्रथम योगी) है. शिव को योग का प्रवर्तक माना जाता है.

आदियोगी यानि शिव प्रतिमा की खास बाते:
  • ईशा फाउंडेशन के मुताबिक यह प्रतिष्ठित चेहरा मुक्ति का प्रतीक है और उन 112 मार्गों को दर्शाता है, जिनसे इंसान योग विज्ञान के जरिए अपनी परम प्रकृति को प्राप्त कर सकता है.
  • चेहरे के डिजाइन को तैयार करने के लिए करीब ढ़ाई साल लगे और ईशा फाउंडेशन की टीम ने इसे 8 महीनों में पूरा किया.
  • इस प्रतिमा को स्टील से बनाया गया है और धातु के टुकड़ों को जोड़कर इसे तैयार किया गया है.
  • प्रतिमा का वजन 500 टन है.

  • आज से पहले इस तकनीक का कही प्रयोग नहीं किया गया है. नंदी को भी बड़े खास तरीके से तैयार किया गया है.
  • धातु के 6 से 9 इंच बड़े टुकड़ों को जोड़कर नंदी का ऊपरी हिस्सा तैयार किया गया है.
  • इसके अंदर तिल के बीज, हल्दी, पवित्र भस्म, विभूति, कुछ खास तरह के तेल, थोड़ी रेत, कुछ अलग तरह की मिट्टी भरी गई है.
  • प्रतिमा के अंदर 20 टन सामग्री भरी गई है और फिर उसे सील कर दिया गया.
  • यह पूरा मिश्रण एक खास तरह से तैयार किया गया है.
आदियोगी यानि शिव प्रतिमा की खास बाते:
  • ईशा फाउंडेशन के मुताबिक यह प्रतिष्ठित चेहरा मुक्ति का प्रतीक है और उन 112 मार्गों को दर्शाता है, जिनसे इंसान योग विज्ञान के जरिए अपनी परम प्रकृति को प्राप्त कर सकता है.
  • चेहरे के डिजाइन को तैयार करने के लिए करीब ढ़ाई साल लगे और ईशा फाउंडेशन की टीम ने इसे 8 महीनों में पूरा किया.
  • इस प्रतिमा को स्टील से बनाया गया है और धातु के टुकड़ों को जोड़कर इसे तैयार किया गया है.
  • प्रतिमा का वजन 500 टन है.


  • आज से पहले इस तकनीक का कही प्रयोग नहीं किया गया है. नंदी को भी बड़े खास तरीके से तैयार किया गया है.
  • धातु के 6 से 9 इंच बड़े टुकड़ों को जोड़कर नंदी का ऊपरी हिस्सा तैयार किया गया है.
  • इसके अंदर तिल के बीज, हल्दी, पवित्र भस्म, विभूति, कुछ खास तरह के तेल, थोड़ी रेत, कुछ अलग तरह की मिट्टी भरी गई है.
  • प्रतिमा के अंदर 20 टन सामग्री भरी गई है और फिर उसे सील कर दिया गया.
  • यह पूरा मिश्रण एक खास तरह से तैयार किया गया है.

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