बोलने की कला दिलाती है सफलता, ऐसे सीखे बोलने की कला
अगर आपसे ये सवाल पूछा जाए कि क्या आप सफल होना चाहते हैं तो ये सवाल आपको अजीब लग सकता है क्योंकि हर एक शख्स चाहता है कि वो सफल हो। हमारे क्षेत्र भले ही अलग-अलग हो लेकिन हम सब का लक्ष्य एक ही होता है – सफलता को पाना। लेकिन पूरी तरह सफल नहीं हो पाने के पीछे एक बड़ा कारण होता है बोलने की कला ना आना। इस ओर बहुत ही कम लोग गौर कर पाते हैं कि सफल होने के लिए बोलने की दक्षता का होना कितना ज़रूरी होता है और इसी कारण अधिकाँश लोग सफलता का पूरा स्वाद चखने से रह जाते हैं क्योंकि उनमें बोलने का हुनर नहीं होता है।
जिस व्यक्ति में बोलने की कला होती है वो दुनिया के सामने अपनी बात को प्रभावी तरीके से पेश कर पाता है और उसका प्रभाव इतना गहरा होता है कि दुनिया से उसे मनमाफिक परिणाम भी मिलने लगते हैं।
ऐसे में आप भी चाहते होंगे कि बोलने की ये कला आप में भी विकसित हो जाये जिससे आप बुलंदियों तक आसानी से पहुंच सके। तो चलिए, आज जानते हैं कि बोलने की कला को कैसे सीखें –
बोलने से पहले ऐसे करे तैयारी –
जब भी आपको बहुत से लोगों के बीच खड़े होकर अपनी बात कहनी होती है या किसी मीटिंग में प्रेजेंटेशन देनी होती है तो शुरुआत में नर्वस होना स्वाभाविक ही है लेकिन इस बेचैनी को खुद पर हावी मत होने दीजिये। सार्वजनिक मंच पर बोलने से पहले अपने दिमाग को शांत रखिये और गहरी साँस लीजिये। खुद से कहिये – ‘ये बहुत आसान है, मैं ये कर सकता हूँ।’ इन बातों को 3-4 बार दोहराइये और खुद के दिमाग और दिल को उत्साह और सकारात्मकता से भर लीजिये। इसके बाद अपनी प्रस्तुति दीजिये। ऐसा करके आप काफी बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे।
जब भी आपको बहुत से लोगों के बीच खड़े होकर अपनी बात कहनी होती है या किसी मीटिंग में प्रेजेंटेशन देनी होती है तो शुरुआत में नर्वस होना स्वाभाविक ही है लेकिन इस बेचैनी को खुद पर हावी मत होने दीजिये। सार्वजनिक मंच पर बोलने से पहले अपने दिमाग को शांत रखिये और गहरी साँस लीजिये। खुद से कहिये – ‘ये बहुत आसान है, मैं ये कर सकता हूँ।’ इन बातों को 3-4 बार दोहराइये और खुद के दिमाग और दिल को उत्साह और सकारात्मकता से भर लीजिये। इसके बाद अपनी प्रस्तुति दीजिये। ऐसा करके आप काफी बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे।
बोलने से पहले सुनना ज़रूरी है –
किसी मीटिंग के दौरान अगर आपका ध्यान सामने वाले व्यक्ति की बातों पर नहीं होगा तो ऐसे में ना तो आप उससे कोई सवाल कर पाएंगे और ना ही पूछे गए किसी सवाल का सही जवाब दे पाएंगे। इस स्थिति से बचने और प्रभावी प्रस्तुति देने के लिए ये ज़रूरी है कि आप बातों को ध्यान से सुनिए, उसके बाद आप अच्छे तरीके से उन सवालों का जवाब दे सकेंगे जिनकी आपसे अपेक्षा है।
जल्दबाज़ी करने से बचिए –
कई बार ऐसा होता है कि लोगों के बीच बोलते समय आप जल्द से जल्द उत्तर देकर अपना प्रभाव बनाने की कोशिश करने लगते हैं और ऐसे में हड़बड़ी में अस्पष्ट जवाब देने लगते हैं, जो सवाल पूछने वाले को समझ नहीं आ पाता है और आपका प्रभाव बढ़ने की बजाए कम होता जाता है इसलिए जवाब देने से पहले थोड़ा रुके और फिर स्पष्ट शब्दों और साफ आवाज़ में जवाब दें।
किसी मीटिंग के दौरान अगर आपका ध्यान सामने वाले व्यक्ति की बातों पर नहीं होगा तो ऐसे में ना तो आप उससे कोई सवाल कर पाएंगे और ना ही पूछे गए किसी सवाल का सही जवाब दे पाएंगे। इस स्थिति से बचने और प्रभावी प्रस्तुति देने के लिए ये ज़रूरी है कि आप बातों को ध्यान से सुनिए, उसके बाद आप अच्छे तरीके से उन सवालों का जवाब दे सकेंगे जिनकी आपसे अपेक्षा है।
जल्दबाज़ी करने से बचिए –
कई बार ऐसा होता है कि लोगों के बीच बोलते समय आप जल्द से जल्द उत्तर देकर अपना प्रभाव बनाने की कोशिश करने लगते हैं और ऐसे में हड़बड़ी में अस्पष्ट जवाब देने लगते हैं, जो सवाल पूछने वाले को समझ नहीं आ पाता है और आपका प्रभाव बढ़ने की बजाए कम होता जाता है इसलिए जवाब देने से पहले थोड़ा रुके और फिर स्पष्ट शब्दों और साफ आवाज़ में जवाब दें।
बोलने की कला बेहद आसान कला है, बस इसे समझने की देर है। एक बार आप ये कला सीख जाये तो फिर आपके लिए अपनी बात रखना, मीटिंग में बोलना या सार्वजनिक मंच पर अपने विचार प्रस्तुत करना बहुत ही आसान हो जाएगा। अगर आप भी चाहते हैं कि आप इस कला में माहिर हो जाए तो अभी से इन छोटी-छोटी बातों का अभ्यास करना शुरू कर दीजिये और ऐसा करने पर आप पाएंगे कि कुछ ही दिनों में आपने अपनी इस कला के ज़रिये सफलता तक पहुंचने का रास्ता बना ही लिया है।