ये है धरती पर 'नरक का दरवाजा', 47 साल से धधक रही है आग



Post Write By-UpendraArya

इंटरनेशनल डेस्क। तुर्कमेनिस्तान में ये आग पिछले 44 सालों से जल रही है। ये राजधानी अश्गाबात से 260 किलोमीटर उत्तर में काराकुम रेगिस्तान के दरवेज (Darvaza) गांव में मौजूद है। 'डोर टू हेल' (नर्क का दरवाजा) के नाम से मशहूर ये गड्ढा दरअसल एक गैस क्रेटर है, जो मिथेन गैस के चलते जल रहा है। ये तुर्कमेनिस्तान का मशहूर टूरिस्ट प्वाइंट बन चुका है।  



ऐसे बना 'नर्क का दरवाजा'
इस रेगिस्तान में प्राकृतिक गैस का रिसाव होता था, जिसे दुनिया में सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस का भंडार कहा जाता है। ऐसे में, मिथेन गैस के विशाल भंडार का इस्तेमाल करने के लिए 1971 में सोवियत संघ के वैज्ञानिकों ने यहां ड्रिलिंग की थी। ज्यादा से ज्यादा गैस निकालकर जमा करने की होड़ में एक दिन यहां विस्फोट हुआ, जिससे बड़ा क्रेटर बना। साथ ही,


 जहरीली गैस का रिसाव शुरू हो गया। हादसे में कोई घायल नहीं हुआ था। रूसी वैज्ञानिकों ने हादसे के बाद मिथेन गैस को वायुमंडल में फैलने से रोकने के लिए आग लगा दी। उसी समय से यह आग लगातार जल रही है। जिस गड्ढे में आग जल रही है, वह 229 फीट चौड़ा है और इसकी गहराई तकरीबन 65 फीट है। इस रेगिस्तान में उठती आग की लपटों को दरवेज गांव से भी देखा जा सकता है।


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पर उतरेथे जॉर्ज कोरोनिस
कनाडा के रहने वाले जॉर्ज कोरोनिस वो पहले शख्स हैं, जो काराकुम रेगिस्तान में जल रहे इस गड्ढे में उतर चुके हैं। जॉर्ज ने इस क्रेटर में अपनी यात्रा की तस्वीरें हाल ही में जारी की थीं। उन्होंने कहा था कि एक हजार सेल्सियस तापमान पर जल रहे 100 फीट गहरे क्रेटर की सतह में जाने का अनुभव लाजवाब रहा।

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