Menasa wants to eradicate darkness from the world, but how/मेनासा दुनिया से अंधेरा मिटाना चाहती हैं, पर कैसे

उन्होंने 'हार्वेस्ट' नाम का एक उपकरण बनाया है जिसके ज़रिए मात्र पांच अमरीकी डॉलर के खर्चे पर अक्षय ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है.


उनकी कोशिश थी कि वो एक ऐसा तरीका इजाद करें जिससे सूरज और अन्य तरह की ऊर्जा को सेव कर उसे बिजली में तब्दील किया जा सके.
मेनासा कहती हैं, "दुनिया के पांचवें हिस्से के लिए अंधेरा एक सच्चाई है जिसे मैं बदलता चाहती थी. मुझे इसे बदलने के लिए कोई रास्ता चाहिए था. मेरा उद्देश्य था कि हार्वेस्ट को दुनिया के किसी भी कोने में इस्तेमाल किया जा सके."

कैसे काम करती है तकनीक

मेनासा ने पीज़ोइलेक्ट्रिकल इफ़ेक्ट पर काम करना शुरू किया जो ऊर्जा को एक जगह पर एकत्र करने का एक तरीका है. मनासा कहती हैं कि उनको इसके लिए प्रेरणा पेड़ों से मिली और उन्होंने पहले सूरज की रोशनी से बिजली बनाने का काम किया.
लेकिन इतना काफ़ी नहीं था. उनका कहना है, "मैं ये सोच रही थी कि अगर सूरज की रोशनी के अलावा मैं किसी और तरीके से भी बिजली बना सकूं तो कैसा हो."
मेनासा ने पीज़ोइलेक्ट्रिकल इफ़ेक्ट के साथ हवा के दवाब पर काम करने का फ़ैसला किया. इसके ज़रिए ख़ास चीज़ों के इस्तेमाल से सूरज की रोशनी, हवा और बारिश की बूंदों को बिजली में परिवर्तित करने और फिर बिजली को मैकेनिकल वाइब्रेशन में परिवर्तित करने की कोशिश की.
उनका ये यंत्र किसी भी तरह के दवाब से काम करता है और इसकी क्षमता बढ़ाने के लिए उन्होंने इसमें सोलर पैनल का भी इस्तेमाल किया है.
मेनासा मेंडू का आविष्कार हार्वेस्ट
अब मेनासा मेंडू चाहती हैं कि उनके आविष्कार को लोग अपने रोज़मर्रा के कामों के लिए इस्तेमाल करें और वो इस काम में आगे बढ़ने के लिए सहयोगियों की तलाश कर रही हैं.
वो कहती हैं, ''जब पहले मैंने हार्वेस्ट बनाया था तो इससे कम ऊर्जा का उत्पादन हो रहा था. उस वक्त मैं दुखी भी थी और आसानी से हार मान सकती थी. लेकिन मैं कुछ ऐसा बनाना चाहती थी जिसे लोग असल ज़िंदगी में काम में ला सकें. हमें कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. कभी हमें ख़ुद पर भरोसा नहीं होता तो कभी दूसरों को हम पर. लेकिन जो भी आपके विचार हों आपको उन पर काम करना चाहिए क्योंकि आपको ख़ुद नहीं पता कि आपके विचार कितना कुछ बदल सकते हैं."

भारत में क़रीब पांच करोड़ परिवार आज भी अंधेरे में जीवन बिताने करने को मजबूर हैं. लेकिन पंद्रह साल की मेनासा मेंडू इन लोगों की ज़िंदगियों में रोशनी लाकर उसे बदलना चाहती हैं.
उन्होंने कुछ ऐसा बनाया है जिसका फ़ायदा दुनिया के कई हिस्सों के करोड़ों लोग उठा सकते हैं.
अमरीका के ओहायो की रहने वाली मेनासा ने एक नई तकनीक विकसित की है जिसके ज़रिए दुनिया के उन हिस्सों को रोशन किया जा सकता है जहां सूरज छिपने के बाद ज़िंदगी रुक जाती है. इसके ज़रिए विकासशील देशों में सस्ती क़ीमतों में बिजली पहुंचाई जा सकती है.
अपने इस आविष्कार के लिए मेनासा को 2016 में अमरीका का टॉप यंग साइंटिस्ट का पुरस्कार दिया गया था. विज्ञान की इस प्रतियोगिता का आयोजन थ्रीएम कंपनी और डिस्कवरी एजुकेशन नाम की संस्था करती है.
मेनासा मेंडू
कुछ साल पहले मेनासा मेंडू अपने परिवार के साथ भारत घूमने आई थीं. यहां उन्होंने बिजली और साफ़ पीने के पानी का अभाव और लोगों की परेशानियां देखीं. इसके बाद अमरीका लौट कर उन्होंने एक ख़ास परियोजना पर काम करना शुरू किया.
उन्होंने 'हार्वेस्ट' नाम का एक उपकरण बनाया है जिसके ज़रिए मात्र पांच अमरीकी डॉलर के खर्चे पर अक्षय ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है.
उनकी कोशिश थी कि वो एक ऐसा तरीका इजाद करें जिससे सूरज और अन्य तरह की ऊर्जा को सेव कर उसे बिजली में तब्दील किया जा सके.
मेनासा कहती हैं, "दुनिया के पांचवें हिस्से के लिए अंधेरा एक सच्चाई है जिसे मैं बदलता चाहती थी. मुझे इसे बदलने के लिए कोई रास्ता चाहिए था. मेरा उद्देश्य था कि हार्वेस्ट को दुनिया के किसी भी कोने में इस्तेमाल किया जा सके."

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