कई साल बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि जिले में धान की नर्सरी गिराने से लेकर रोपाई तक के लिए किसानों को पानी के लाले पड़ गए। खेत जुताई के समय ही एक बार बारिश हुई। उसके बाद कुछ जगहों पर हल्की बारिश हुई। बारिश नहीं होने से किसानों की मेहनत की फसल धान खेत में ही सूख रही है। खेतों में दरारें तक पड़ गई हैं। धान की फसल को बचाने के लिए किसान अपने निजी, प्राइवेट बोरिंग या ट्यूबवेल से खेतों में सिंचाई कर रहे हैं। वहीं कुछ जगहों पर बोरिंग से पानी कम निकल रहा है। इस बीच जिले में जल स्तर के गिरने व पंपिंग सेंट या ट्यूबवेल से सिंचाई से मना करने को लेकर अफवाह तेजी से फैली। इस मुद्दे को लेकर जिले के संबंधित अधिकारियों से बात की तो पूरी बात अफवाह निकली।
क्या कहती हैं सहायक अभियंता लघु सिंचाई
लघु सिंचाई विभाग की सहायक अभियंता गरिमा द्विवेदी ने बताया कि जिले का जल स्तर पहले की तरह आठ मीटर बना हुआ है। इसका स्तर कम नहीं हुआ है। पंपिंग सेट से सिंचाई करने को लेकर कोई रोक नहीं है। जहां तक बोरिंग से पानी कम निकलने की बात है, उसको लेकर सर्वे कराया जाएगा। पंपिंग सेट या ट्यूबवेल से सिंचाई पर रोक की बात अफवाह है। किसान सिंचाई करें और अफवाहों पर ध्यान न दें।
क्या कहते हैं जिला कृषि अधिकारी
जिला कृषि अधिकारी वीरेन्द्र कुमार ने कहा कि जिले में जल स्तर कम होने व पंपिंग सेट से सिंचाई पर रोक लगाने का आदेश नहीं है। इस तरह का केस सामने नहीं आया है। हां इतना है जरूर है कि भूगर्भ एवं जल संसाधन विभाग ने इस आशय का आदेश जारी किया है कि समर सेबल पंप की बोरिंग बिना अनुमति के नहीं किए जाएंगे।