इंसान के सबसे वफ़ादार दोस्त कहे जाने वाले कुत्तों के बारे में आप कितनी बातें जानते हैं?
प्राणी शास्त्री और मानवविज्ञानी जॉन ब्रैडशॉ इंसानों और जानवरों के बीच के संपर्क और आपसी व्यवहार का अध्यायन करते हैं.
'इन डिफ़ेंस ऑफ़ डॉग्स' और 'एनिमल्स अमंग अस' किताबों के लेखक जॉन ब्रैडशॉ ने कुत्तों के अब तक के इतिहास का भी गहरा अध्ययन किया है.
उन्हीं से जानिए इंसान के पक्के और प्यारे से दोस्त से जुड़ीं 10 ऐसी बातें, जिनके बारे में शायद आपको पता न हो:
1. भेड़ियों के दूर के वशंज
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कुत्ते भेड़ियों की उस नस्ल के दूर के वशंज हैं जो हज़ारों साल पहले विलुप्त हो गई थी.अमरीका और यूरोप में आज जो भेड़िए पाए जाते हैं, वे कुत्तों के दूर से रिश्तेदार हैं. इन भेड़ियों का डीएनए कुत्तों के डीएनए से 99 प्रतिशत मेल खाता है.
2. नस्लें अलग होकर भी समानता
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कुत्तों के कई आकार और कई सारी नस्लें हैं. इतनी नस्लें किसी भी जंगली या पातलू जानवर की नहीं हैं. इसके लिए भी इंसान ज़िम्मेदार है.
हालांकि, कुत्तों की शारीरिक विविधता की भी एक सीमा है.
सबसे छोटे आकार के चिवावा से लेकर सबसे बड़े कुत्ते ग्रेट डेन की शारीरिक संरचना उसी ढांचे पर बनी है, जैसी उनके पुरखे भेड़ियों की थी. भले ही सभी के आकार और नस्लें भिन्न हों मगर समानताएं भी काफ़ी हैं.
3. सूंघने की क्षमता तेज़ क्यों है
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कुत्तों में कमाल की सूंघने की क्षमता जेकबसन या वोमेरोनेज़ल नाम के अंग के काऱण होती है
जो इनके नथुनों और मुंह के ऊपरी हिस्से पर होता है.
जो इनके नथुनों और मुंह के ऊपरी हिस्से पर होता है.
वैज्ञानिकों को अभी तक पता नहीं चल पाया है कि इनमें यह
अंग क्यों होता है. मगर बिल्लियों
और अन्य जानवरों पर किए गए अध्ययन बताते हैं कि शायद यह क्षमता उनके पास इसलिए है ताकि वे अन्य कुत्तों द्वारा छोड़े गए संकतों को पहचान सकें.
अंग क्यों होता है. मगर बिल्लियों
और अन्य जानवरों पर किए गए अध्ययन बताते हैं कि शायद यह क्षमता उनके पास इसलिए है ताकि वे अन्य कुत्तों द्वारा छोड़े गए संकतों को पहचान सकें.
4. कुत्तों को दिखता कैसा है
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कभी आपके मन में ख्याल आया है कि कुत्तों को दिखता कैसा है?
कुत्ते हरे, पीले और नीले रंग में तो हमारी तरह ही फ़र्क कर सकते हैं मगर उनकी आंखें
लाल रंग को नहीं पकड़ पातीं.
लाल रंग को नहीं पकड़ पातीं.
कुत्तों को लाल रंग गहरा स्लेटी नज़र आता है.
5. कुत्ते मुस्कुराते भी हैं
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कुत्ते मुस्कुराते हैं मगर उन कारणों से नहीं जिनके चलते हम इंसान मुस्कुराते हैं.
प्राणी विज्ञानी जॉन ब्रैडशॉ बताते हैं कि कुत्ता अपने मालिक से थोड़ा प्यार पाने के लिए
मुस्कुराता है.
मुस्कुराता है.
इसलिए ज़रूरी नहीं कि वे मुस्कुरा रहे हों तो हम समझें कि वे खुश हैं. ये एक संकेत हो
सकता है कि वे थोड़े बेचैन हैं और आपसे थोड़ा दिलासा या हिम्मत चाहते हैं.
सकता है कि वे थोड़े बेचैन हैं और आपसे थोड़ा दिलासा या हिम्मत चाहते हैं.
तो जब कभी आपको अपना डॉगी मुस्कुराता नज़र आए तो उसे दुलारना न भूलें.
6. कोई पछतावा नहीं होता
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कुत्तों को यह अहसास नहीं होता कि उन्होंने कुछ ग़लत कर दिया है. हालांकि हमें ऐसा लग
सकता है, जब वे शर्मिंदा होने जैसा चेहरा बनाते हैं.
सकता है, जब वे शर्मिंदा होने जैसा चेहरा बनाते हैं.
बहुत सारे लोग बताते हैं कि कैसे उनका कुत्ता 'गिल्टी लुक' देता है. मगर विज्ञान बताता है
कि कुत्ते उस समय सामने खड़े आदमी की बॉडी लैंग्वेज के आधार पर ऐसी प्रतिक्रिया देते हैं.
कि कुत्ते उस समय सामने खड़े आदमी की बॉडी लैंग्वेज के आधार पर ऐसी प्रतिक्रिया देते हैं.
अपराध बोध दरअसल एक पेचीदा भाव होता है जिसे कुत्ते नहीं समझ सकते. ऐसे में कुत्ते गिल्टी लुक देते समय दरअसल इस बात को लेकर डरे हुए होते हैं कि उन्हें सज़ा मिल सकती है. मगर उन्हें यह पता नहीं होता कि उन्होंने कुछ ग़लत किया है.
- 7. सहारा चाहिए होता है
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जब एक बार पिल्ले को यह पता चल जाता है कि इंसानों का स्वभाव दोस्ताना होता है, उसका स्वाभाविक ज्ञान उसे बताता है कि इस व्यक्ति के साथ रहने में ही उसके जीवित रहने की
ज्यादा संभावनाए हैं.
ज्यादा संभावनाए हैं.
यही कारण है कि कई कुत्ते तब परेशान हो जाते हैं जब उन्हें अकेला छोड़ दिया जाता है |
वे दूर की नहीं सोच पाते और उन्हें ऐसा लग सकता है कि मालिक ने उन्हें हमेशा के लिए छोड़ दिया है.
वे दूर की नहीं सोच पाते और उन्हें ऐसा लग सकता है कि मालिक ने उन्हें हमेशा के लिए छोड़ दिया है.
8. इसलिए दोस्ताना होते हैं कुत्ते
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नैशनल जियोग्राफ़िक के अनुसार इंसानों के साथ रहने के कारण कुत्तों में विलियम्स सिंड्रोम
जैसा ही एक सिंड्रोम पैदा हो जाता है.
जैसा ही एक सिंड्रोम पैदा हो जाता है.
अगर इंसानों में GTF2I और GTF2IRD1 नाम के जीन्स न हों तो उन्हें विलियम्स सिंड्रोम हो
जाता है. यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें लोगों को समझने में मुश्किल आती है और उन्हें 'पूरी दुनिया को प्यार करने की आदत' पड़ जाती है.
जाता है. यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें लोगों को समझने में मुश्किल आती है और उन्हें 'पूरी दुनिया को प्यार करने की आदत' पड़ जाती है.
अगर कुत्तों में देखें तो उनके GTF2I और GTF2IRD1 नाम के जीन्स अलग होते हैं. इसी
कारण वे इंसानों के संपर्क में आकर ज़्यादा दोस्ताना हो जाते हैं.
कारण वे इंसानों के संपर्क में आकर ज़्यादा दोस्ताना हो जाते हैं.
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बहुत सारे स्तनधारी जीव प्यार, डर, बेचैनी और खुशी जैसे बुनियादी भावों को महसूस करते हैं. मगर यह पता चला है कि कुत्ते इंसानों के लिए और भी अलग-अलग तरह की भावनात्मक प्रतिक्रियाएं देते हैं.
बहुत सारे लोगों को लगता है कि उनके कुत्ते उन्हें प्यार करते हैं. अब वैज्ञानिकों ने पाया है
कि कुत्तों का व्यवहार इस बात पर निर्भर करता है कि वे किसी कितना प्यार करते हैं.
कि कुत्तों का व्यवहार इस बात पर निर्भर करता है कि वे किसी कितना प्यार करते हैं.
एमॉरी यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर ग्रेगरी बर्न्स ने कुत्तों को एमआरआई के दौरान स्थिर खड़े रहने के लिए ट्रेन किया. यह देखने के लिए कि मालिक की तस्वीरें देखने पर होने वाली खुशी पर उनका दिमाग़ किस तरह की प्रतिक्रिया देता है.
पाया गया कि कुत्ते इंसान की बॉडी लैंग्वेज को चिम्पैंज़ियों से बेहतर समझते हैं.
10. अंदर से जंगली
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अगर कोई कुत्ता अपने जीवन के शुरुआती तीन महीनों में किसी इंसान के संपर्क में नहीं
आता है तो वह ताउम्र जंगली रह सकता है.
आता है तो वह ताउम्र जंगली रह सकता है.
इसका उदाहरण ऑस्ट्रेलियन डिंगो नाम के कुत्ते हैं जो करीब 4000 साल पहले तक पालतू हुआ करते थे. मगर इस द्वीप पर अकेले छोड़ दिए गए ये कुत्ते अब जंगली बन गए हैं.
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