भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मोदी सरकार की मेक इन इंडिया योजना की तरफ एक और कदम बढ़ाते हुए अमेरिका से स्पेस सोलर सेल्स की तकनीक खरीदी है। अब भारत में ही इस तकनीक की मदद ले सोलर सेल बनाए जाएंगे। यह सोलर सेल स्पेस में सैटेलाइट को पावर देने का काम करेंगे। ताकि वह अपना काम अच्छे से कर सकें।
करोड़ों रुपये होते थे खर्च
सिवान ने आगे बताया कि 10 हजार सोलर सेल के लिए 15 करोड़ रुपये तक का खर्चा आता था। यदि इन सेल्स की मात्रा की बात की जाए तो छोटी सैटेलाइट के लिए 1500 और बड़ी सैटेलाइट के लिए 10-15 हजार सेल्स का इस्तेमाल होता है। अगर ये देश में ही बनने शुरू हो जाएंगे तो इनकी कीमत कई गुना तक कम हो जाएगी।
ये कंपनी बनाएगी सेल्स
सेल्स को बनाने के सवाल पर सिवान का कहना है कि इन्हें बनाने का कॉन्ट्रैक्ट भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को दिया गया है। यह कंपनी वैज्ञानिकों की देखरेख में बंगलूरू में सेल्स बनाएगी। बता दें यदि यह सेल्स न हों तो सैटेलाइट स्पेस में किसी काम की नहीं रहती। जब सैटेलाइट स्पेस में पहुंचती है तो दो सोलर पैनल विंग्स ओपन हो जाते हैं और इन पर मौजूद सोलर सेल सूरज की रौशनी से पावर जेनरेट कर सैटेलाइट तक पहुंचाते हैं।