मानव शारीर के कटे अंग वापस उग आएंगे अगर हुआ कुछ ऐसा तो । विज्ञान महान है।



छिपकली की कटी हुई पूँछ दोबारा क्यों उग जाती हैं


छिपकली की कटी हुई पूँछ दोबारा क्यों उग जाती हैं


छिपकली

Regeneration ( पुनरुदभवन ) एक ऐसी प्रक्रिया हैं जिसमे जीवों के खोये हुए या कटे हुए अंग उग ( Genrate ) आते हैं | जैसे – छिपकली, ऑक्टोपस, तारा मछली, एक्सोलोट्ल्स ( Axolotls ) सैलामेंडर आदि जीवों के शरीर में पुनरुदभवन ( Regeneration ) की अनोखी काबिलियत पायी जाती हैं | जिसके कारण इनके अंग कटने, क्षतिग्रस्त होने पर दोबारा उग आते हैं | उदाहरण – छिपकली की कटी हुई पूँछ दोबारा उग जाती हैं |


एक्सोलोट्ल्स ( Axolotls ) सैलामेंडर

एक्सोलोट्ल्स ( Axolotls ) सैलामेंडर के हाथ – पैर आदि अंग कट जाने पर आसानी से उग आते हैं , लिंकिया ( Linckia ) वंश की तारा मछली में कटी हुई Arm ( भुजा ) से सम्पूर्ण तारा मछली बन सकती हैं |
कुछ जीवों में साधारण चोट लगने पर कुछ समय बाद घाव ( Wound ) दोबारा भर जातें हैं | लेकिन उन जीवों के कटे हुए अंग ( हाथ, पैर या अंगुलियाँ आदि ) नहीं उगते हैं | उदाहरण – मनुष्यों में किसी अंग के कट जाने पर वह दुबारा नहीं उगता | लेकिन मनुष्यों में भी कुछ ऐसी कोशिकाएँ पायीं जाती हैं | जिनमे Regeneration होने की क्षमता होतीं हैं | जैसे – लीवर ( यकृत ) की कोशिका, बालों तथा नाखुनों में Regeneration होने की क्षमता पायी जाती हैं |
लेकिन कुछ जीवों में कटे हुए अंग कैसे आ जातें हैं | जब इन जीवों को चोट लग जाती हैं तो सबसे पहले खून बहने वाले स्थान पर रक्त का थक्का बन जाता हैं | इसके बाद जल्दी से जल्दी घाव ठीक हो जाता हैं ताकि कोशिकाओं में कोई बाहरी संक्रमण ( Infection ) ना हो | रक्त के थक्के के नीचे उपस्थित Epithelial कोशिकाएँ खिसक कर घाव के चारों और जमा होने लगती हैं |
घाव के ठीक होने के बाद घाव वाले स्थान पर एक उभार बनने लगता हैं | यह उभर बनने का कारण यह होता हैं कि सक्रिय अविभेदित मीजेनकाईम कोशिकाएँ बनने लगती हैं | ये कोशिकाएँ ही Regeneration कोशिकाएँ होती हैं | ये कोशिकाएँ भ्रूण कोशिकाओं के सामान कार्य करने लगती हैं | जो धीरे – धीरे अंग का निर्माण करने लगती हैं | इस प्रक्रिया में इन कोशिकाओं के द्वारा सम्पूर्ण अंग बनने में लगभग 10 सप्ताह का समय लगता हैं |


अंग बनने की प्रक्रिया

दूसरी प्रक्रिया के अनुसार जैसे किसी व्यक्ति की अंगुली या पैर – हाथ कट जाते हैं तो उस व्यक्ति की कटी हुई अंगुली या पैर आदि अंगों से कोशिकाएँ लेकर उन्हें संवर्धन माध्यम में प्रयोगशाला में संवर्धन कराया जाता हैं तथा कृत्रिम रूप से क्षतिग्रस्त अंग को दोबारा तैयार किया जाता हैं |
लीवर की कोशिकाओं के Regeneration होने की प्रक्रिया को समझकर क्या हमें मनुष्य के कटे हुए अंगो को दोबारा उगाने में मदद मिल सकती हैं |

कैसे उगते हैं अंग?

शरीर का कोई अंग कटने पर त्वचा के सबसे बाहरी हिस्से की परत की कोशिकाएं घाव को भरने के लिए ऊपर आती हैं. यह भी दिलचस्प है कि आखिर दोबारा उग रही कोशिकाओं को कैसे पता होता है कि वह कहां उगेंगी और कैसे सही शक्ल अख्तियार करेंगी?
मैनचेस्टर विश्वविद्यालय में विकास जीवविज्ञानी एनरिक अमाया का कहना है, “हमारी कोशिकाओं को अंदाजा है कि उनकी जगह क्या है और वे उतने 'टिशू' को दोबारा उगाती हैं जो खत्म हुआ है.”
लेकिन अंग को दोबारा उगने के लिए शरीर के साथ और बेहतर संपर्क बनाने की ज़रूरत होती है. अगर एक सालामैंडर का पैर कट जाएगा तो उसका एक नया पैर उग भी जाएगा, घाव भी भर जाएगा और समय के साथ नई हड्डियां, मांसपेशियां, नसें और त्वचा भी तैयार हो जाएंगी.
सालामैंडर जैसे जानवर जब 'टिशू' उगाना शुरू करते हैं तो ज़ख्म के नीचे की नसों के साथ संपर्क जोड़ते हैं, साथ ही मांसपेशियां भी नसों के साथ दोबारा संबंध कायम करती हैं.

सेफर्ट का कहना है कि इंसानी शरीर को ये गठजोड़ समझने में परेशानी होती है, क्योंकि उसमें नसों की व्यवस्था बेहद जटिल है.
उनके मुताबिक, "ऐसे में इंसान के हाथ पैर को दोबारा उगाने में 15-20 साल लग सकते हैं, पर एक उंगली में ये प्रयोग शायद जल्दी नतीजे दिखाए."

कैसे हुई खोज?

इस तरह की उपचारात्मक शक्तियों की खोज 1740 में हुई थी जब यह पाया कि हरे तालाब में रहने वाले जानवर के सिर के कुछ हिस्से कट जाएं तो वे खुद ब खुद उग भी जाते हैं.
उसके बाद तो वैज्ञानिकों ने यह पाया कि कई जानवरों में अपने अंग को दोबारा उगाने की क्षमता होती है.
मिसाल के तौर पर छिपकली की कटी हुई पूंछ भी उग जाती है. स्टारफिश की टूटी भुजाएं फिर से वापस आ जाती हैं और फ्लैटवर्म एक ही कोशिका से अपने पूरे शरीर को फिर से तैयार कर सकता है.
लेकिन सदियों के शोध के बावजूद अभी यह समझने में काफी वक्त लगेगा कि आखिर जानवरों के शरीर के अंग दोबारा कैसे उगते हैं और हमारे शरीर में भी यह कमाल का प्रयोग संभव है या नहीं.

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