एक शोध के मुताबिक गांजा पीने से उन मरीज़ों को पुराने पड़ चुके दर्द से काफ़ी राहत मिल सकती है जिनकी धमनियाँ क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं.
इस शोध में 23 लोगों पर किए परीक्षणों में नींद और बेचैनी के मामलों में भी गांजा के इस्तेमाल से सुधार नज़र आया.
कनेडियन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में शोधकर्त्ताओं ने लिखा है कि गांजा पीने के लाभ पर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है.
ब्रिटेन के विशेषज्ञों का कहना है कि गांजा के इस्तेमाल से दर्द में मामूली लेकिन महत्त्वपूर्ण राहत दिखी है और अभी इस क्षेत्र में और शोध किए जाने की ज़रूरत है.
क़रीब एक से दो प्रतिशत लोगों को धमनियों की समस्या की वजह से दर्द रहता है जो समय के साथ पुराना हो जाने से और कष्टदायी हो जाता है.
ऐसे दर्द के लिए असरदायक दवा की कमी है.
इस तरह के दर्द से प्रभावित कुछ मरीज़ों का कहना है कि उनके रोग के जो लक्षण हैं, उसमें गांजा लाभकारी सिद्ध हुआ है.
शोधकर्त्ता इसकी जाँच कर रहे हैं कि गांजा की बजाए गांजा के रासायनिक तत्त्व वाली गोली भी उतनी ही कारगर होगी या नहीं.
युनिवर्सिटी कॉलेज आफ़ लंदन के प्रोफ़ेसर टोनी डिकेन्सन का कहना है, "भविष्य के शोधों में ऐसे मरीज़ों के बारे में जानकारी हासिल करना महत्त्वपूर्ण होगा जिनपर गांजा का कारगर असर होता है क्योंकि ये संभव है कि ज़्यादा उम्र के लोगो के लिए ये उपयुक्त न हो."