100 साल बाद दुनिया कैसी होगी? इसका बस अनुमान ही लगाया जा सकता है। जिस रफ्तार से तकनीकी विकास हो रहा है, यह कहना ग़लत नहीं होगा कि आने वाले सालों में इंसान और ज़्यादा तकनीक पर निर्भर हो जाएगा। हालांकि, आने वाले सालों का भविष्य सिर्फ तकनीक ही तय नहीं करेगी, इसमें शिक्षा का भी अहम योगदान रहेगा। हम तो बस अंदाज़ा लगा सकते हैं कि आने वाले 100 सालों में क्या बदलाव हो सकते हैं।
इस बात में को दो राय नहीं है कि तकनीक और बहुत विकसित हो चुकी है और आने वाले सालों में ये और उन्न्त होगी। आज की तारीख में रोबोट ऑपरेशन करने से लेकर कंपनी के रिसेप्शन तक को संभाल रहा है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आने वाले सालों में ऐसे रोबोट्स का विकास हो जो खुद ही सोच और समझ सकेंगे। अगर ऐसा हो गया तो पूरी पृथ्वी ही बदल जाएगी।
आज दूसरे ग्रह पर जीवन की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं, लेकिन पृथ्वी का 90 प्रतिशत हिस्सा तो सागर है, जिसे अभी तक खोजा ही नहीं गया है। इसमें न जाने कैसे जीव और कौन-सा खज़ाना छुपा हो। हो सकता है महासागरों की गहराई में ढेर सारा तेल और खनिज छुपा है, जिसके बाहर आने पर जीवन बहुत बदल सकता है। महासागरों में अनंत संभावनाएं छुपी हो सकती हैं।
शिक्षा हर देश के नागरिक का मूलभूत अधिकार है, लेकिन सिर्फ इसे मूलभूत अधिकार बना देना इस बात की गारंटी नहीं है कि सबको शिक्षा मिल रही है। जहां तक गुणवत्तूपर्ण शिक्षा की बात है तो वो इतनी महंगी है कि सारी ज़िंदगी लोग एज्युकेशनल लोन चुकाने में ही लगे रहते हैं और एक बड़ा तबका इतनी महंगी शिक्षा अफोर्ड ही नहीं कर सकता। तो अगर अगले 100 सालों में यदि हम परफेक्ट सोसायटी बनाना चाहते हैं तो वैश्विक स्तर पर मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था करनी होगी। शिक्षा अधिकार से अधिक समाज की ज़रूरत है।
मानव शरीर में अब तक सिर्फ दांत ही कुदरती तरीके से विकसित हो सकता है और इसे बनाने का कोई दूसरा तरीका नहीं है। यही हाल दूसरे अंगों जैसे- लार ग्रंथियों, मांसपेशियों और लिवर का भी है। अगर किसी व्यक्ति को किडनी खराब हो जाए तो उसे एक डोनर की ज़रूरत होती है जो अपनी किडनी दान करे.। लेकिन आने वाले सालों में यदि सिंथेटिक ऑर्गन (अंग) का विकास संभव हो पाया तो यह बहुत बड़ी वैज्ञानिक सफलता होगी और इससे बहुत से ज़रूरतमंदों को जीवनदान मिल सकेगा।
हर कोई अपने जीवन में एक बार अंतरिक्ष की सैर की चाहत तो रखता है, लेकिन अफसोस कि फिलहाल यह चाहत पूरी नहीं हो सकती। फिलहाल ट्रेन्ड एस्ट्रोनॉट्स ही अंतरिक्ष में जा सकते हैं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि आपका सपना कभी पूरी नहीं होगा। हो सकता है आने वाले 100 सालों में अपने ज्ञान और तकनीक की मदद से इंसान अंतरिक्ष यात्रा को आम बना ले।
मंगल पर जाने की बाते वैसे तो काफी सालों से हो रही है, मगर अभी तक वहां इंसानों को बसाने की दिशा में कुछ हुआ नहीं है। हालांकि, हो सकता है कि आने वाले 100 सालों में वहां इंसानी स्थाई कॉलोनियां बस जाए। वैसे भी स्टीफन हॉकिंग का कहना है कि 100 सालों में इंसानों को धरती की बजाय कहीं और ठिकाना तलाशना होगा, तो मंगल एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
ऊर्जा के हमारे प्राकृतिक स्रोत सीमित मात्रा में मौजूद है और जिस तेज़ी से इनका उपयोग हो रहा है, वो दिन दूर नहीं जब ये साधन समाप्त हो जाएंगे। ऐसे में निकट भविष्य में अपनी ऊर्जा की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए हमें सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का सहारा लेना होगा। ऊर्जा के ये स्रोत कभी समाप्त होने वाले नहीं हैं और आने वाले 100 सालों में इनके उपयोग का रास्ता तलाशना होगा।
1. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
2. महासगरों की खोज
3. मुफ्त गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
4. नए सिंथेटिक अंगों का विकास
5. आसान और व्यवहारिक अंतरिक्ष यात्रा
6. मंगल ग्रह पर स्थाई निवास
7. 100 फीसदी नवीकरणीय ऊर्जा
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